पहली बार मना रहे हैं हरतालिका तीज तो ऐसे करें तैयारी

हरतालिका तीज भाद्रपाद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है, यह हिंदू धर्म का एक ऐसा व्रत है,जिसे शादीशुदा महिलाएं तो रखते ही हैं साथ ही अच्छे वर के इच्छा रखने वाली कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं जिसे आमतौर तीज या तीजा भी कहते हैं इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा।

माता पार्वती को जब यह बात पता चली कि उनके पिता ने भगवान विष्णु से उनका विवाह सुनिश्चित किया है, तो वह अत्यंत दुखी हो गई। उनके दुख को देखकर पार्वती जी की एक सहेली ने उनसे उनके दुख का कारण पूछा? पार्वती जी ने अपनी व्यथा सुनाई कि वे सच्चे दिल से भगवान शिव की आराधना करती हैं और अपने पति के रूप में उनके अलावा किसी ओर के बारे में सोच ही नहीं सकती। तब उनकी सखी ने उन्हें समझाया कि वह हिम्मत ना हारें और उनके साथ चले।

इस तरह पार्वती जी को समझा कर उनकी सखी उन्हें जंगल में एक तप स्थल पर ले गईं। जहां उनके पिता भी ना पहुंच सके। वहां पार्वती जी शिवजी के लिए कठोर तप करने लगीं । जिसके फलस्वरुप शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी के इच्छा अनुसार उन्हें विवाह करने के लिए तथास्तु बोला। इसके बाद पार्वती जी ने अपना व्रत तोड़ा और अगली सुबह पारण किया। दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को था।

कैसे मनाए हरतालिका तीज?

24 घंटे निराजल और निराहार रहें। एक दिन पहले हाथों में मेहंदी रचा लें। मिट्टी से भगवान शिवजी,माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाएं। केले के पत्ते का मंडप बनाएं, शाम में नए कपड़े पहन कर सोलह सिंगार करें। प्रतिमा में सामने दीपक और धूपबत्ती जलाएं। फल,फूल,मिठाई,माला,दुर्वा और शमीपत्र चढ़ाएं।

श्रृंगार का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, आलता, नेलपॉलिश, लिपस्टिक, लाल–कपड़ा आदि पार्वती जी को चढ़ाए। हरतालिका तीज व्रत कथा सुने और सुनाएं। इसके बाद गणेश जी शिव जी और पार्वती जी की आरती करें। अगले दिन पारण करें, पति की दीर्घायु और अच्छे वर की तलाश के लिए ये व्रत जरूर करें।

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