दारानगर के ऐतिहासिक 244 वें धनुष यज्ञ एवम परशुराम संवाद की लीला देख दर्शक हुए भावुक

कौशांबी जिले के दारानगर -कस्बा स्थित सुप्रसिद्ध 244 वें श्री रामलीला कमेटी दारानगर के तत्वावधान में चल रही।रामलीला में रावण बाणासुर संवाद एवं धनुष यज्ञ की लीला हुई। कमेटी के महामंत्री योगेंद्र मिश्र ने बताया कि प्रसंग के अनुसार महाराज जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर के लिए प्रतिज्ञा की कि जो भी राजा शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ पुत्री सीता का विवाह होगा।

इस बात को सुनकर देश-विदेश के अनेक राजाओं ने स्वयंवर में भाग लिया। इसी के चलते लंकाधिपति रावण ने अकेले में मौका देखकर धनुष को उठाने का प्रयास किया। परंतु उठाना तो दूर उसकी अंगुली धनुष के नीचे आ गई। यह नजारा बाणासुर ने देखा तो दोनों के मध्य तीखी नोंक झोंक हुई। स्वयंवर में सभी राजाओं ने अपनी ओर से जोर आजमाइश की परंतु किसी ने भी धनुष तो उठाना दूर उसे हिला भी नहीं सके। निराश होकर सभी राजा वापस लौट पड़े। जिसपर राजा जनक चिंतित होकर कहा कि यह पृथ्वी वीरों से खाली है यह बात सुनकर सभा में बैठे लक्ष्मण क्रोधित हुए।राजा जनक की यह बात लक्ष्मण जी को काफी नागवार लगती है। वह राजा जनक से कुछ कहने को होते है, लेकिन भगवान श्रीराम उन्हें शांत होने का इशारा कर देते हैं।

राजा जनक की मायूसी देखकर ऋषि गुरु विश्वामित्र जी के इशारा करने पर भगवान श्रीराम शिवजी के धनुष को उठाकर तोड़ देते हैं। माता सीता भगवान श्रीराम के गले में वरमाला डाल देती हैं। महाराजा दशरथ अपने पुत्र भारत एवं शत्रुघ्न के साथ मिथिला पहुंचकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत, एवं शत्रुघ्न के विवाह में शामिल होते हैं।उधर धनुष टूटने की खबर को सुनकर बादल की गर्जना के साथ परशुराम का आगमन होता है और परशुराम जी से राम एवम लक्ष्मण का संवाद होता है

श्री रामलीला कमेटी के मुख्य पुरोहित वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ भगवान श्री राम एवं मां जानकी के विवाह को संपन्न कराते हैं। पूरी जनकपुरी में खुशी का माहौल बन जाता है। प्राचीनतम और ऐतिहासिक रामलीला के पंचमी दिवस की लीला के अवसर पर अध्यक्ष आद्या प्रसाद पांडेय ने कहा कि रामलीला समाज में मानवता और जीवन के सार्थक मूल्यों का सन्देश देती है। प्रभु श्री राम का जीवन आदर्शों से भरा हुआ है, उनके जीवन में त्याग व अपने वचन के पालन के लिए कठोरतम कष्ट सहन करने की शक्ति भी दिखाई देती है। आज के युग में हम सभी को प्रभु श्री राम के जीवन चरित्र को आत्मसात करने की आवश्यकता है और नई पीढ़ी को श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।खचाखच भरे म्योहरा के धनुष यज्ञ के प्रांगण में सीता स्वयंवर और लक्ष्मण परशुराम संवाद का लोगों ने खूब आंनद उठाया।‌‌

इसके अलावा जनक की भूमिका में कामता प्रसाद त्रिवेदी, राम की भूमिका में अनमोल पांडेय, लक्ष्मण की भूमिका में यथार्थ पांडेय , सीता की भूमिका में अंशु मिश्रा , विश्वामित्र भोले तिवारी, रावण की भूमिका में कामता प्रसाद सेन, राजा की भूमिका में मनीष पाठक , शिवम मिश्र, प्रशांत त्रिपाठी, शशिकमल मिश्र, बाणासुर की भूमिका में विष्णु साहू, शिव की भूमिका में अनमय तिवारी परशुराम का अभिनय राजमणि तिवारी ने किया। इस अवसर पर आशुतोष सिंह थाना प्रभारी कड़ाधाम, जयमणि तिवारी,प्रभाकर शुक्ला,राम आसरे दिवाकर,पंकज केशरवानी,नीरज केसरवानी,दीपक मणि, मूल प्रकाश त्रिपाठी समेत कई पदाधिकारी सहित स्थानीय लोग मौजूद रहे।

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