इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा दहेज में दिए गए सामानों की सूची का नियम।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के बढ़ते फर्जी मुकद्दमों को देखते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव या अधिकृत अधिकारी का हलफनामा मांगा है कि क्या विवाह के समय मिले गिफ्ट व उपहारों की सूची बनाने के नियम का पालन किया जा रहा है।और क्या सरकार ने दहेज प्रतिषेध अधिकारी की नियुक्ति की है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारतीय वैवाहिक परंपराओं को दृष्टिगत रखते हुए दहेज प्रतिषेध कानून बनाया है।और धारा 3 की उपधारा 2 मे साफ कहा है कि शादी के समय मिले गिफ्ट व उपहारों की सूची तैयार की जाय और उसपर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर या अंगूठा निशान हो।

इसके सत्यापन के लिए राज्य सरकार पर धारा 8बी में दहेज प्रतिषेध अधिकारी की नियुक्ति करने का भी उपबंध किया गया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है तो इसकी सफाई के साथ हलफनामा दाखिल करें।यदि अधिकारी की नियुक्ति की गई है तो उसने नियम लागू करने के लिए क्या किया है ‌सरकार बताये कि प्रदेश में कितने और किस स्तर पर दहेज प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या शादी पंजीकृत करते समय गिफ्ट व उपहारों की सूची मांगी जाती है या नहीं। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 23मई नियत की है।

यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने अंकित सिंह व तीन अन्य की धारा 482के तहत दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कानून की धारा 3 दहेज लेना देना दोनों को दंडनीय अपराध घोषित किया है।और उपधारा 2मे शादी के समय मिले गिफ्ट व उपहारों की सूची बनाने की व्यवस्था की है।ताकि दहेज केस में दहेज सामान का सत्यापन किया जा सके और आरोपों की सत्यता का पता चल सके और फर्जी दहेज केसों पर नियंत्रण हो सके। ऐसा करने से दहेज संबंधित विवादों के निपटारे में मदद मिलेगी।

कोर्ट ने कहा नियमानुसार दहेज और उपहारों में अंतर है। वर-वधू को मिलने वाले गिफ्ट्स को दहेज में नहीं शामिल किया जा सकता। कोर्ट ने कहा, अच्छी स्थिति यह होगी कि मौके पर मिली सभी चीजों की सूची बनाई जाए। कोर्ट ने कहाअकसर ऐसे मामले अदालत में पहुंचते हैं, जिनमें विवाद किसी और वजह से होता है, लेकिन आरोप दहेज का लगा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में अदालत का सुझाव अहम है।

Leave a Comment