चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कड़े स्थित मां शीतला में माता को पुरोहित (पंडा) समाज की तरफ से भव्य सोने का हार अर्पण किया गया

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से ही सभी देवी मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिली। इसी क्रम में कौशाम्बी के कड़े स्थित प्राचीन शक्तिपीठ मां शीतला देवी जी के मंदिर में भी सुबह होते ही भक्तों का तांता लगा रहा। दोपहर बाद मंदिर में आईजी प्रयागराज और एसपी कौशाम्बी ने भी माता का दर्शन पूजन किया।  चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मंदिर के पुरोहित समाज ने भी माता के चरणों में भव्य सोने का हार अर्पण किया।

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में 51 शक्तिपीठों में से एक माता शीतला जी का प्राचीन मंदिर स्थित है। इस स्थान पर माता सती का हाथ गिरा था। चूंकि हाथ को संस्कृत भाषा में कर कहते हैं। उस आधार पर इस क्षेत्र का नाम करा रखा गया था जो समय बीतने के साथ कालांतर में बदलकर कड़ा पड़ गया।

कड़ा धाम में माता शीतला जी का मंदिर गंगा नदी के पवित्र तट पर कौशांबी जिले में दारानगर के पास स्थित है। हर वर्ष चैत्र नवरात्रि एवं आसाढ़ नवरात्रि में माता के मंदिर में दर्शनार्थियों की भारी भीड़ दर्शन पूजन करने के लिए आती है। प्राचीन काल में पांडवों ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया तब से यह मंदिर वैसे ही स्थित है। कहते हैं जब प्रजापति दक्ष पर क्रोधित होकर माता सती ने खुद को योग अग्नि में भस्म कर दिया था, तब शिवजी पूरे ब्रह्मांड में उनको लेकर भटकने लगे। तब शिवजी को इस मोह से बाहर निकालने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 हिस्सों में काट दिया जो धरती के विभिन्न जगहों पर गिरा जहां उनके शरीर के अंग गिरे उस स्थान पर शक्तिपीठ बन गया। कड़ा धाम में माता सती का हाथ गिरा था इस कारण धीरे-धीरे इसे कर कहा जाने लगा उसके बाद अपभ्रंश में कड़ा कहा जाने लगा। श्रद्धालु हर वर्ष यहां चैत्र से असाढ माह के बीच भारी संख्या में दर्शन करने आते हैं। माता शीतला जी के मंदिर में जहां माता शीतला का हाथ गिरा था वहां पर एक कुंड बन गया था। कहते हैं उस कुंड में गंगाजल या दूध से कुंड को भरवाने से मनवांछित फल की प्राप्त होती है। माता शीतला जी को पुत्र देने वाली देवी भी कहा गया है, तो हर वर्ष हजारों की संख्या में महिलाएं जिन्हें पुत्र की चाहत होती है माता के दर्शन करने को आती हैं। यह उत्तर भारत का एक अति प्राचीन मंदिर है इस मंदिर में माता शीतला गर्दभ पर बैठी हुई और हाथ में झाड़ू लिए आशीर्वाद देती है। कहते हैं माता के इस रूप में दर्शन करने से लोगों के घरों में दरिद्रता का नाश होता है तथा सुख संपत्ति आती है।

जो श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं वह पहले मंदिर के पास ही गंगा घाट पर जाकर स्नान करते हैं उसके बाद स्नान ध्यान करने के बाद मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।

वैसे इस मंदिर में साल के बारहों महीने भीड़ रहती है फिर भी नवरात्रि के अवसर पर विशेष भीड़ देखने को मिलती है।

यह मंदिर नेशनल हाईवे के काफी नजदीक है जिससे यहां आने जाने में काफी सुविधा रहती है। यह मंदिर प्रयागराज और फतेहपुर जिले के बीच स्थित कौशांबी जिले में है। इसका मुख्य नजदीकी रेलवे स्टेशन सिराथू है तथा सैनी बस स्टैंड पर उतरकर इस मंदिर पर ऑटो या ई रिक्शा से जाया जा सकता है।

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