विन्ध्याचल में पत्रकारों का भव्यातिभव्य कार्यक्रम कार्यकारिणी गठन,लोकगीतों के रंग तथा आशीर्वाद की बही वासन्तिक हवा

अध्यक्ष रोहित गुरु त्रिपाठी ने कार्यक्रम को बनाया रोहित-किरणों जैसा किसी कार्यक्रम के स्वरूप से आयोजक की सोच,मन-मस्तिष्क की थाह तो मिलती ही है,साथ ही उसकी दृष्टि का भी पता चलता है।

ऐसा ही एक कार्यक्रम रविवार, 31 मार्च को पवित्र धाम विन्ध्याचल में जब हुआ तब प्रथम दृष्टया ही लगा कि आयोजक के वजनदार मन का तौल नहीं किया जा सकता और मन की ऊंचाई और गहराई की भी थाह नहीं ली जा सकती।

भव्य ही नहीं भव्यातिभव्य कार्यक्रम था

अवसर स्वतंत्र मीडिया क्लब की कार्यकारिणी के गठन तथा पदग्रहण का था। कार्यक्रम विन्ध्य रेजीडेंसी में आयोजित किया गया था, जो त्रिकोण धाम में त्रिकोणीय स्वरूप बना रहा था। प्रथम स्तर पर कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसके बाद सकुशल गठन के उपलक्ष्य में समय के अनुकूल खुशियों के रंग बिखेरने के लिए मातृशक्तियों के आवाहन का रहा जिसमें जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश की सीमा के पार जाकर यशकीर्ति का पताका फहराने वाली लोकगायिका पद्मश्री अलंकरण से इसी वर्ष सम्मानित उर्मिला श्रीवास्तव तथा नीदरलैंड में कजली की खुशबू से भारतीय दूतावास के जलसे में उपस्थित लोगों को थिरकने के लिए मजबूर कर देने वाली लोकगायिका ऊषा गुप्ता तो थीं ही, साथ में साहित्य के क्षेत्र में यूपी सरकार के अलावा केंद्र सरकार के विविध संस्थानों से सम्मानित डॉ ऊषा कनक पाठक भी उपस्थित थीं। तीनों ने गीतों का रंग बिखेर कर नवनिर्वाचित पत्रकारों के वासन्तिक मौसम जैसा स्वरूप बनाने की कामना की।

वाइस चांसलर के आशीर्वाद का रंग

चित्रकूट जिले में स्थित रामभद्राचार्य राज्य विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर शिशिर पांडेय कार्यक्रम के तृतीय सोपान पर वसंत ऋतु के ही साथ सामंजस्य बैठाते हुए आशीर्वाद के नवपल्लव पर उज्ज्वल पत्रकारिता के संदेश दे गए जिसमें पिछली सदी के पूर्वार्द्ध में पत्रकारिता के सुमेरु-पर्वत सदृश मिर्जापुर जिले के प्रेमघन जी, मतवाला जी आदि का नाम लिखा हुआ है।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक

अतिथियों की उपस्थिति का दूसरा पक्ष आयोजक होता है। इसमें सूर्य के रोहित रूप-रंग जैसे रोहित गुरु त्रिपाठी का नाम उत्कीर्ण दिखाई पड़ा। रोहित ही अध्यक्ष चुने गए हैं संगठन के। अपनी पूरी टीम को मैत्री एवं सद्भाव की माला में गूँथे हुए दिखाई पड़ रहे थे। हर पदाधिकारी एवं सदस्य मध्ययुगीन भारत के महान सपूत राणा प्रताप के चेतक की तरह अपने अध्यक्ष के इशारों पर कार्यक्रम को सफल बनाने में लगा हुआ था।

ए-टू-जेड को दिया गया मेमेंटो और चुनरी

मंच पर विराजे अतिथियों एवं पदाधिकारियों को ही नहीं बल्कि कार्यक्रम में जिले के अलावा गैर जिले से आए शताधिक पत्रकारों को स्मृतिचिह्न, माला और चुनरी पहनाई गई। सभी सामग्री उत्कृष्ट श्रेणी की थी।

फूलों की माला

स्वागत में फूलों की इतनी वजनदार माला पहनाई जा रही थी कि दूसरी माला पहनाने पर अतिथियों के शीश का पूरा हिस्सा ढंक जा रहा था । कलकत्ता से मंगाई गई एक एक माला का वजन एक-एक किलोग्राम से अधिक ही समझ में आंका जा रहा था। इस तरह की माला चुनावों में जीते हुए प्रत्याशियों एवं प्रशासनिक सेवा में उच्च पदों पर चयनित लोगों को पहनाते फिलहाल जिले के लोगों ने पूर्व में नहीं देखा था। कार्यक्रम के बाद सहभोज का भी आयोजन था।

भव्य कार्यक्रम के लिए मन बड़ा होना मां विन्ध्यवासिनी की कृपा के बिना संभव नहीं है। ऐसे दौर में जब व्यष्टिवादी प्रवृतियां खूब लहलहा रही हैं तब समष्टि के लिए इस तरह का आयोजन सबके वश का भी नहीं है।

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