कार्यशाला में मनोरोग चिकित्सक डॉ हरदयाल ने बताया कि मानसिक रोग एक मन का रोग है। जो किसी को भी किसी भी अवस्था में हो सकता है। बच्चों में चिंता और अवसाद जैसे रोग हो जाते हैं। जिससे बचने के लिए परिवार के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। सकारात्मक विचार रखने चाहिए। साईकेर्टिक डॉ त्रिभुवन नाथ ने बताया कि बच्चों में इग्जाम के समय अत्यधिक चिंता होने लगती है। जिससे बच्चों में घबराहट ,पेट दर्द, सर दर्द होने लगता है। बचाव के लिए विषय को समझ कर पढ़ना चाहिए वह अध्यापकों की समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए। यदि किसी को काउंसलिंग की आवश्यकता हो तो वह ऑनलाइन नंबर 14 416 पर फोन कर काउंसलिंग करा सकते हैं। अनुश्रवण एवं मूल्यांकन अधिकारी नरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया किसी भी कार्य को करने में धैर्य बहुत आवश्यक है। जो भी महान और विद्वान लोग हुए हैं, उन्होंने हमेशा धैर्य से ही प्रसिद्धि प्राप्त की है। बच्चों को भी शिक्षा ग्रहण करते समय धैर्य से सुनना और समझना चाहिए जिससे उनके ज्ञान के साथ-साथ अच्छे अंक भी आते हैं एकाग्रता के लिए प्रात उठकर भ्रमरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। शिविर में अनुपम त्रिपाठी व अशोक कुमार ने बच्चों को पंपलेट बांटकर जागरूक किया। शिविर में प्रधानाचार्य पवन कुमार निगम ने जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम बांदा का धन्यवाद ज्ञापित किया और पुनः कॉलेज में आने के लिए आमंत्रित किया। प्रश्नोत्तरी कर बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।
