जमा करनी होगी रु10 हजार जमानत राशि अनुसूचित जाति एवं जनजाित वर्ग के अभ्यर्थियों को आधी राशि जमानत के तौर पर जमा करनी होगी -श्री राममिलन सिंह

शहडोल जिला कोषालय अधिकारी श्री राममिलन सिंह ने गुरूवार को कलेक्टर कार्यालय के सभागार में आयोजित स्टैडिंग कमेटी की बैठक में बताया कि विधान सभा निर्वाचन 2023 में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 10 हजार रूपये की जमानत राषि जमा करनी होगी। वही अनुसुूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को आधी जमानत के तौर पर जमा करनी होगी।

उन्होंने बताया कि जमानत राशि विधि अर्थात लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 के अधीन, लोक सभा के निर्वाचन में प्रत्येक अभ्यर्थी को 25,000 रु. ( पचीस हजार रूपया मात्र) की जमानत राशि अवश्य ही जमा करनी चाहिए। राज्य विधान सभा ने निर्वाचन के लिए जमानत राशि 10,000 रू. (दस हजार रूपए मात्र) हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी से आम निर्वाचन क्षेत्र में भी उपयुक्त राशि की केवल आधी राशि की जमानत राशि जमा करना अपेक्षित है।

नामांकन पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी के पास लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 द्वारा यथा अपेक्षित उपयुक्त जमानत धनराशि रिटर्निंग ऑफिसर को नकद में जमा करने या भारतीय रिजर्व बैंक में या सरकारी खजाने में (चालान के माध्यम से) जमा करने का विकल्प होता है। यदि रिटर्निंग ऑफिसर के पास जमानत की धनराशि नकद में जमा नहीं की जाती है तो अभ्यर्थी को उसकी ओर से प्रस्तुत किए जाने वाले पहले नामांकन पत्र के साथ जमाराशि को के रूप में रसीद (चालान) अवश्य संलग्न करना चाहिए।

संसद के निर्वाचन के लिए जमा निम्नलिखित लेखाशीर्ष के अधीन किया जाना चाहिए 8443- सिविल जमा-121 निर्वाचनों के संबंध में जमा -2- संसद के लिए अभ्यर्थियों द्वारा जमा की गई धनराशि। राज्य, संघ राज्य क्षेत्र विधान मंडलों के लिए निर्वाचन के लिए निम्नलिखित लेखा शीर्ष के अधीन धनराशि जमा की जानी चाहिए 8443- सिविल जमा-121- निर्वाचनों के संबंध में जमा-1- राज्य, संघ राज्य क्षेत्र के विधान मंडलों के लिए अभ्यर्थियों द्वारा जमा की गई धनराशि एक जमाराशि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए पर्याप्त है।


बैठक में उप संचालक जनसम्पर्क श्री जीएस मर्सकोले ने जानकारी दी कि सोशल मीडिया और वेबसाइट पर चुनावी प्रचार के लिये भी अनुमति लेनी होगी। भारत निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। आयोग ने माना है कि सोशल मीडिया और वेबसाइट भी रेडियो-केबल टीव्ही की तरह इलेक्ट्रोनिक मीडिया हैं।

जिस पर किए जाने वाले चुनाव प्रचार को कानूनी रूप में विनियमित करना आयोग का अधिकार है। सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाले चुनावी प्रचार का खर्चा संबंधित प्रत्याशी के खाते में शामिल किया जाएगा। साथ ही राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों से भी कहा है कि बिना अनुमति के सोशल मीडिया का उपयोग चुनावी प्रचार में न करें।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि सोशल मीडिया, फेसबुक, यूट्यूब, विकीपीडिया और एप्स पर कोई भी विज्ञापन या एप्लीकेशन देने से पहले इसकी अनुमति अवश्य ली जाए। यह अनुमति मीडिया सर्टिफिकेशन ऑफ मॉनीटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) देगी। इसके लिये राजनैतिक दलों व प्रत्याशियों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा।

उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले विज्ञापन का खर्चा भी राजनैतिक दल अथवा प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल होगा। चुनावी खर्चे में उन व्यक्तियों एवं टीम के वेतन व भत्ते भी शामिल होंगे, जो उम्मीदवार या राजनैतिक दल का सोशल मीडिया एकाउण्ट या वेबसाइट संचालित करने का काम करते हैं।

 

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता पूरी तरह से लागू रहेगी। साथ ही वेबसाइट और सोशल मीडिया एकाउण्ट पर पोस्ट की जाने वाली सामग्री इसके अधीन रहेगी। बैठक में राजनैतिक दल के प्रतिनिधि एवं निर्वाचन कार्य से जुड़े अन्य अधिकारी उपस्थित थंे।

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