संगम तट पर गंगा नदी पर झूंसी से दारागंज को जोड़ने के लिए निर्मित शास्त्री पुल प्रयागराज-वाराणसी नेशनल हाइवे पर स्थित है। शास्त्री पुल गोरखपुर बलिया, आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के तमाम जिलों को जोड़ते हुए बिहार और पश्चिम बंगाल को भी प्रयागराज से जोडऩे का काम करता है। इस पुल के जरिए लगभग 40 से 50 हजार यात्री और 30 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं। 70- 80 के दशक में शुरू हुए पुल की हालत वर्तमान में जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। पिछले कई वर्षों से पुल पर भार अधिक बढ़ने से आए दिन सड़क से लेकर पिलर में खराबी आता रहता है। लोक निर्माण विभाग द्वारा समय समय पर मरम्मत कर आवागमन बहाली कराया जाता है किंतु महाकुंभ मेला के विशेष आयोजन और भारी भीड़ को मद्देनजर रखते हुए शास्त्री पुल का पूरी तरह कायाकल्प के साथ नए आधुनिक पुल की मांग बढ़ गई है।
शास्त्री पुल के इतिहास के विषय में शोध में ज्ञात हुआ कि प्रयागराज शहर और झूंसी के बीच गंगा नदी पर बने पुल के निर्माण की जिम्मेदारी कोलकाता की निजी निर्माण इकाई जोशी एंड कंपनी को दिया गया था। उस वक्त किसी बड़े पुल का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल हुआ करता था। कुछ खास निजी कंपनियां ही पुल निर्माण का काम करती थीं जिसके चलते जोशी एंड कंपनी को गंगा पर पुल निर्माण का काम सौंपा गया लेकिन सात साल काम करने के बाद कंपनी पुल के निर्माण को अधूरा छोड़ कर चली गई।
केंद्र सरकार ने साल 1973 में ब्रिज कारपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया, इसी दौरान झूंसी में गंगा पर बन रहे पुल का काम अधर में लटक गया तो सरकार ने गंगा पुल के शेष काम को पूरा करने की जिम्मेदारी ब्रिज कारपोरेशन को सौंप दी।
ब्रिज कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने ब्रिज का निर्माण वर्ष 1980 में पूरा कर लिया जिसके बाद पुल को नेशनल हाइवे अथॉरिटी आफ इंडिया को सौंप दिया गया। जिसके बाद से पुल टोल प्लाजा आदि की स्थापना की गई और फिर पुल से आवागमन आरंभ हुआ। शास्त्री पुल की देखरेख, मरम्मत और सुरक्षा की जिम्मेदारी तकरीबन 30 साल तक एनएचएआइ ने ही निभाई। इस बीच पुल से गुजरने वाले वाहनों से टोल टैक्स भी वसूला जाता रहा। 26 जुलाई 2010 को पुल की सुरक्षा व रखरखाव की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को सौंप दी गई थी। महाकुंभ 2013 के पूर्व लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये से पुल को संवारा गया था। इस दौरान पुल की सड़क और रेलिंग की मरम्मत कराने के साथ प्रकाश प्रबंधन को बेहतर किया गया था किंतु शास्त्री पुल पर आवागमन की संख्या और रफ़्तार निरंतर बढ़ने एवं ओवर लोड गाड़ियों की संख्या में वृद्धि से पुल जर्जर स्थिति में पहुंच गया है। श्रावण मास में एक रूट बंद किए जाने से जाम की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। एक लेन पर अधिक भार होने के कारण पिलर, रोलर खिसकने की समस्या से एक लेन बाधित कर मरम्मत कार्य किया जाता है। कुंभ मेला के दौरान शास्त्री पुल से यातायात बाधित होने की कीमत तीर्थ यात्रियों को भी चुकानी पड़ सकती है।