धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण की अनुमति दी गई तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जायेगी- हाईकोर्ट l

कोर्ट ने कहा धर्मांतरण कराने वाले धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगे

 

धर्मांतरण के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज

 

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण की प्रवृत्ति को लेकर गंभीर टिप्पणी की है और कहा है कि यदि धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण की प्रवृत्ति जारी रही तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जायेगी। कोर्ट ने कहा धर्मांतरण करने वाली धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे आयोजन संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के विरूद्ध है।यह अनुच्छेद किसी को भी धर्म मानने व पूजा करने व अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है।

धर्म प्रचार की स्वतंत्रता किसी को धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं देती।

कोर्ट ने कहा जानकारी में आया है कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक आयोजनों के जरिए भोले भाले गरीब लोगों को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा है।ऐसे ने धर्म परिवर्तन कराने के आरोप की गंभीरता को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने हिंदुओं को ईसाई बनाने के आरोपी मौदहा, हमीरपुर के कैलाश की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

रामकली प्रजापति ने एफआईआर दर्ज कराई कि उसका भाई जो मानसिक रूप से बीमार था,को याची एक हफ्ते के लिए दिल्ली ले गया।कहा इलाज कराकर गांव वापस कर देंगे। किंतु वापस नहीं आया।जब आया तो गांव के तमाम लोगों को दिल्ली में आयोजित आयोजन में ले गया ।जहां उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया। इसके बदले शिकायत कर्ता के भाई को पैसे दिए जाते हैं।

कोर्ट ने कहा संविधान धर्म प्रचार की छूट देता है, धर्म बदलवाने की अनुमति नहीं है।याची पर आरोप गंभीर हैं।गांव के तमाम लोगों को ईसाई बना दिया गया है।

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