आज से शारदीय नवरात्रि का नौ दिन का पावन पर्व शुरू हो रहा है, इस अवसर पर देशभर के मंदिरों में मां दुर्गा जी के सभी रूपों का पूजन अर्चन होता है। कुंभ नगरी प्रयागराज में भी मातारानी के सभी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए काफी भीड़ होती है। खासकर प्रयागराज शहर क्षेत्र में स्थित अलोप शंकरी मंदिर, ललिता देवी मंदिर एवं कल्याणी देवी मंदिर में विशेष भीड़ रहती है। खासकर अलोप शंकरी मंदिर जो शहर के अलोपीबाग मुहल्ले में स्थित है वहां दर्शन पूजन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का हाथ गिरते ही अलोप (अदृश्य) हो गया, इसीलिए इन्हें आलोप शंकरी नाम दिया गया। अलोप शंकरी मंदिर को ललिता देवी वा महेश्वरी मंदिर भी कहते हैं। यह प्रयागराज के दो शक्तिपीठों में से एक है।
बहुत ही कम स्थान हैं जिनमे एक साथ माता के दो शक्तिपीठ हैं। प्रयागराज जिले में ही माता का दूसरा शक्तिपीठ मसुरिया माता मंदिर जो प्रयागराज जिले के बारा तहसील में लालापुर के पास अमिलिया तरहार गांव में स्थित है। यूं तो अमिलिया में साल भर दर्शन पूजन के लिए देश भर से श्रद्धालु आते रहते हैं, पर नवरात्रि के समय यहां विशेष मेला लगता है और आस पास का क्षेत्र श्रद्धालुओं से विशेष भरा रहता है। जो लोग अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को मजबूत करना चाहते हैं वह इस मंदिर में विशेष रूप से पूजा करने जाते हैं। चुकीं यह अमिलिया में सीधे जाने का कोई विशेष साधन नही है इसीलिए बाहर से जो श्रद्धालु रास्ते से ज्यादा परिचित नहीं होते वह कम जा पाते हैं।
प्रयागराज के पास ही कौशाम्बी जिले में माता का एक और शक्तिपीठ हैं जो सिराथू तहसील के कड़ा क्षेत्र में स्थित है जिसे शीतला माता मंदिर नाम से जाना जाता है, मान्यताओं के अनुसार यहां पर माता सती जी का हाथ गिरा था और हाथ को संस्कृत में “कर” कहते हैं, अतः इस मंदिर को कर मंदिर कहा जाता था, जो बाद में समय के साथ अपभ्रंश होकर कड़ा शब्द हो गया और आज इसे कड़ा नाम से ही जाना जाना है। मंदिर में शीतला माता दरिद्रता का नाश करने के लिए हाथ में झाड़ू लिए गर्दभ पर सवार रहती हैं । कड़ा के शीतला माता मंदिर में एक विशाल कुंड भी है, मान्यता है कि इस कुंड को जो भी व्यक्ति दूध या जल से भरवाता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
चूंकि कड़ा स्थान प्रयागराज दिल्ली देशांल हाईवे के काफी नजदीक है इसलिए यहां आस पास के क्षेत्र एवं देश विदेश से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए साल भर आते रहते हैं, नवरात्रि में यहां विशेष मेला लगता है। पहले कौशाम्बी जिला भी प्रयागराज जिले में ही आता था इसीलिए पहले प्रयागराज जिले में तीन शक्तिपीठ हुआ करते थे, पर कुछ साल पहले जब कौशम्बी क्षेत्र को प्रयागराज जिले से अलग करके एक नया जिला बनाया गया तो उसके बाद अलोपीबाग स्थित आलोप शंकरी जिसे ललिता देवी मंदिर भी कहते हैं और लालापुर अमिलिया स्थित मसुरिया माता मंदिर सिर्फ दो ही शक्तिपीठ वर्तमान समय में मौजूद हैं।