मुस्लिम ओबीसी समाज का युवक मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू बनने गया, तो दिया गया ब्राम्हण सरनेम
गुड मॉर्निंग भारत,झूसी, प्रयागराज
सिर्फ एक सामान्य नाम देने के बजाय एक विशेष ब्राम्हण सरनेम देने के पीछे की वजह बताने असमर्थ सुचिषद मुनि के समर्थक, बना विवाद का विषय।
प्रयागराज, झूंसी। प्रयागराज के नई झूंसी में स्थित कैलाश धाम आश्रम में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्वामी कृष्णानंद के आयोजन में विगत तीस दिनों से 201 कुंडीय महायज्ञ चल रहा है। महायज्ञ समापन से एक दिन पूर्व एक युवक ने मुस्लिम धर्म का त्याग कर सनातन धर्म को अंगीकार कर लिया है। युवक ने इसे घर वापसी बताते हुए कहा कई वर्षों से सनातन धर्म अपनाने की चाहत पूरी हुई।
सलीम अंसारी उर्फ बबलू (25) पुत्र वाजिद अली गांव सांरगापुर, थाना घूरपुर का मूलतः निवासी हैं। दस वर्ष पूर्व उसके पिता का इंतकाल हो गया था। बहन रोशन जहां की शादी के बाद अविवाहित सलीम अपनी बूढ़ी मां को लेकर म्योराबाद आ गया। यहां किराए पर ऑटो लेकर चलाने लगा। सनातन धर्म के प्रति उसका प्रेम काफी दिनों से था। वह घर में भगवान शिव की पूजा करता। सलीम के पूजा करने पर मां ने कभी विरोध नही किया। सलीम ने बताया 31 जनवरी को उसे एक पंपलेट मिलता है, जिससे झूंसी कैलास धाम आश्रम में होने वाले कार्यक्रम की जानकारी मिलती है। पंपलेट में दिए गए नंबर पर आश्रम के स्वामी कृष्णानंद महाराज से संपर्क कर धर्म परिवर्तन की इच्छा जाहिर करता है किंतु स्वामी कृष्णानंद महाराज युवक की बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं। 6 फरवरी को सलीम आश्रम पहुंच कर स्वामी जी से संपर्क किया। उसकी इच्छा को देखते हुए महायज्ञ में शामिल संत अमित आर्या ने सुचिषद् मुनि के समक्ष ले गए। सलीम की हर दृष्टिकोण से परख करने के बाद उसका वैदिक मंत्रोच्चार से शुद्धिकरण और यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। गेरूआ वस्त्र धारी अब सलीम अंसारी से वेदव्रत शुक्ला बन चुका है। वेदव्रत ने बड़ी सहजता से बताया कि इस्लाम की कट्टरता उसे रास नही आ रही थी। एक तरफ जहां सनातन धर्म वसुधैव कुटुम्बकं की बात कर प्रेम और समरता का संदेश देता है, वही इस्लाम की बढ़ती कट्टरता मानवता के विपरीत तर्क देता है। वेदव्रत ने बताया कि गुरूदेव के आदेशानुसार आगे जीवन की राह तय करेंगे। 6 फरवरी से ही वेदव्रत आश्रम की पद्धतियों का अनुसरण व अनुश्रवण कर रहा है। उसने कम समय में गायत्री मंत्र एवं तुलसीदास की कई चौपाई कंठस्थ कर लिया है।
नामकरण को लेकर एक विशेष सरनेम की वजह जब पूछी गई तब गोलमोल जवाब देखने को मिला, बताया गया उस युवक का नामकरण सुचिषद मुनि ने किया है। पूछने पर यह भी पता चला कि सुचिषद मुनि एक तरफ खुद तो अपने पिताजी का सरनेम पाण्डेय बताते हैं बच्चे का भी सरनेम पाण्डेय बताते हैं, बेटी के लिए रिश्ता भी ब्राम्हण समाज में ही खोज रहे हैं पर दूसरी तरफ कहते हैं कि वो जातिवाद नही मानते। किसी को बिना किसी ठोस कारण के ब्राम्हण सरनेम देने पर कुछ ब्राम्हण समाज के लोगों ने आपत्ति भी जताई है, तो कुछ लोगों का ये भी कहना है कि हो सकता है सलीम अंसारी से कोई नया रिश्ता जोड़ना चाहते हों सुचिषद इसीलिए उसको ब्राम्हण टाइटल दिया गया है।