रेडियो की दुनिया के ‘सरताज’ और मनमोहक आवाज के जादूगर अमीन सयानी की 91वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से मौत

बिनाका गीतमाला के फेमस अनाउंसर और मनमोहनी आवाज के मालिक अमीन सयानी अब नही रहे।

नमस्कार भाईयों और बहनो मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं।

इस आवाज के साथ अपने प्रोग्राम की शुरुआत करने वाले अमीन सयानी हमेशा के लिए शांत हो चुके हैं। 30 मिनट के शो से अपने श्रोताओं का मनोरंजन करने वाले अमीन सयानी की आवाज अब सुनने को नहीं मिलेगी। पैशन को फॉलो कर लोगों का मनोरंजन करने वाले अमीन सयानी की जर्नी पर एक नजर।

नही रहे मखमली आवाज के फनकार अमीन सयानी

ग्लैमर और इससे जुड़ी दुनिया में इस महीने कुछ अच्छी, तो कुछ बैड न्यूज सामने आ रही है। हाल ही में फेमस एक्टर ऋतुराज सिंह के निधन की खबर सामने आई, जिसने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को झकझोर कर रख दिया। अब एंटरटेनमेंट जगत से एक और दुखद खबर सामने आई है। रेडियो/विविध भारती के सबसे जाने-माने अनाउंसर व टॉक शो होस्ट अमीन सयानी का निधन हो गया है। उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है।

अमीन सयानी की मौत की खबर से उनके फैंस में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। एक लंबे समय तक उन्होंने रेडियो की दुनिया में अपना योगदान दिया। अमीन सयानी का जाना रेडियो की दुनिया में एक युग का अंत माना जा रहा है। इस कड़ी में एक नजर डालेंगे उनकी जीवनी पर।

अमीन सयानी के बचपन से लेकर उनके रेडियो में बने रहने के सफर तक

रेडियो के सबसे फेमस अनाउंसर थे अमीन सयानी ।उनका जन्म साहित्य की दुनिया में जुड़े परिवार से हुआ था। अमीन सयानी की मां ‘रहबर’ नामक समाचार पत्र निकालती थीं। भाई हामिद सयानी भी रेडियो अनाउंसर थे। भाई ने ही अमीन का ऑल इंडिया रेडियो, बॉम्बे से परिचय कराया था। यहां उन्होंने करीब 10 वर्षों तक काम किया। 1952 में अमीन रेडियो सीलोन से जुड़े।

बिनाका गीतमाला’ ने तोड़े थे सफलता के सारे रिकॉर्ड

अमीन ने रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती में 42 वर्षों तक काम किया। वह रेडियो के सबसे फेमस और बुजुर्ग अनाउंसर थे। उनके कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। यह भारतीय फिल्म संगीत का सबसे पहला संगीत काउंट डाउन शो था। लोकप्रिय फिल्मी गीतों पर आधारित यह शो जब शुरू हुआ, तब लोगों में कम समय में इसकी पॉपुलैरिटी बन गई। लोग हर हफ्ते इसे सुनने के लिए बेकरार रहा करते थे।

बिनाका गीतमाला’ का पहला शो 1952 में शुरू हुआ था। मधुर गीतों और अमीन सयानी के मनमोहक अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया। शो की सक्सेस ने एक रेडियो वादक के रूप में अमीन को घर-घर में पहचान दिलाई थी।

अमीन सयानी के नाम हैं कई रिकॉर्ड दर्ज

अमीन सयानी के नाम पर 54,000 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस/कम्पोज/वॉयसओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। लगभग 19,000 जिंगल्स के लिए आवाज देने के लिए भी अमीन का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

फिल्मों में भी किया काम

रेडियो से अमीन सयानी का लगाव इतना था कि फिल्मों में भी उन्होंने इसके इर्दगिर्द की भूमिका ही निभाई। उन्होंने ‘भूत बंगला’, ‘तीन देवियां’, ‘कत्ल’ जैसी फिल्मों में अनाउंसर के तौर पर काम किया है। रेडियो पर सितारों पर आधारित ‘एस कुमार्स का फिल्मी मुकदमा’ भी काफी लोकप्रिय शो था। अमीन सयानी के निधन के साथ ही रेडियो के गोल्डन एरा की आवाज थम गई है।

अमीन सयानी कभी गायक बनना चाहते थे

अमीन सयानी जो कभी सिंगर बनना चाहते थे,लेकिन बाद में जाने-माने ब्रॉडकास्टर बन गए. वे मानते थे कि अच्छी हिंदी बोलने के लिए थोड़ा-सा उर्दू का ज्ञान होना जरूरी हैं. 21 दिसंबर 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन मल्टीलिंगुअल परिवार से थे।

बात करने के दिलकश अंदाज पर फिदा थे फैंस

अमीन जिस तरह ‘बहनो और भाइयो मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं…’ कहकर अपने शो का आगाज करते थे, उसकी खूब सरहाना की गई. शो की बढ़ती लोकप्रियता और श्रोताओं की भारी डिमांड पर इसे काउंट डाउन शो बना दिया था. रेडियो पर अपना पसंदीदा गाने सुनने के लिए लोग वोट करते. इसके बाद वोटिंग के आधार पर गाने चलाये जाते थे. हालांकि, कई लोग अपना पसंदीदा गाना सुनने के लिए फर्जी वोटिंग भी करते थे. जब इस बात की जानकारी सामने आई, तो फिर शो के इस सेगमेंट को खत्म कर दिया गया.

सीखी कई भाषाए ,मां के प्रयासों ने बनाया आवाज का जादूगर 

मेरी भाषा कई मरहलों, कई तूफ़ानों और पथरीली राहों से होकर यहा तक पहुँची है. मैं एक ऐसे घर में पैदा हुआ था जहाँ कई भाषाओं का मिश्रण था. मेरे पिताजी ने बचपन में कभी पारसी सीखी थी और मेरी मां गुजराती, अंग्रेज़ी और हिंदी बोलती थी. मैं बचपन में गुजराती बोलता था. मेरी मां गांधीजी की शिष्या थी. उन्होंने माँ को हिंदी, गुजराती और उर्दू में पत्रिका निकालने की सलाह दी. मां ने ये काम मुझे सौंपा और इससे भी अपनी भाषाओं के विस्तार में काफ़ी मदद मिली. शुरुआत में घबराहट होती थी. मैं सोचता था कि मुझे हिंदी और उर्दू तो आती है लेकिन अब यही मुझे रेडियो पर बोलनी होगी. काफ़ी सोच-विचार कर मैंने अपने आपको तैयार किया. धीरे-धीरे अपने श्रोताओं के साथ मैंने अपनी भाषा में और सुधार लाया. (एक इंटरव्यू का अंश )

अधूरा रह गया अमीन सयानी का ख्वाब

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बचपन से मैं गाया करता था और पार्श्व गायक बनना चाहता था. लेकिन बड़ा होने के बाद मेरी आवाज़ फट गई और मेरी गायक बनने की तमन्ना अधूरी रह गई.

अमिताभ बच्चन को रिजेक्ट करने का सच ,नहीं मिलता सदी का महानायक

एक शो में अमिताभ ने जब ये बताया कि रेड‍ियो में उनकी आवाज को रिजेक्ट किया गया था. तब उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा था कि  अमिताभ किसकी बात कर रहे हैं. क्योंकि तब सिर्फ हमारी ही कंपनी हुआ करती थी और मुझे याद नहीं कि मैं कभी उनसे मिला हूं. उन्होंने बताया कि एक आदमी था जो आपसे मिलने आया था. फिर मुझे याद आया कि मेरी सेक्रेटरी ने मुझे बताया कि एक आदमी आया है जो अपना नाम ‘अमिताभ बच्चन’ बता रहा है. तो मैंने उनसे कहा था कि आप अपॉइंटमेंट लेकर आएं. फिर वो दूसरी बार भी मुझसे मिलने बिना अपॉइंटमेंट के आए थे. मैंने माफी मांगते हुए मिलने से मना कर दिया था क्योंकि मेरे पास समय नहीं था. ये किस्सा अमीन सयानी की आवाज की तरह की मशहूर है.

भले ही उनकी आवाज अब नहीं सुनाई देगी लेकिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे शब्दों में उनका नाम ल‍िखा जाएगा और जैसे ही ये सुनाई देगा ‘जी हां बहनो और भाइयो…’ हमारे जहन में उनकी यादें जिंदा हो जाएंगी।

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